वही पंच केदार के पांचवें केदार श्री कल्पेश्वर महादेव का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है। कल्पेश्वर महादेव चट्टान के ऊपर गुफा में पांडवों द्वारा निर्मित मंदिर बताया जाता है। माना जाता है कि जब कुरुक्षेत्र में पांडवों के द्वारा अपने सगे संबंधियों को मारने के पश्चात अपने गौत्र हत्या को मिटाने हेतु व्यास जी की सलाहनुसार भगवान शिव को मनाने लिए केदार क्षेत्र आये तो शिव पांडवों को देखते ही रूप बदलकर अन्तर्ध्यान हो जाते थे, आगे -आगे शिव और पीछे-पीछे पांडव, कल्पेश्वर में इस जगह पर पांडवों ने शिव जी की जटा को छू लिया था, तो शिव जी ने अपने जटा को यही पर छोड़कर अन्तर्ध्यान हो गए। तब से पाँचवे केदार के रूप में भगवान शिव की इस स्थान पर पूजा होती है। मंदिर के पिछले भाग में कलेवर कुंड है जहाँ से श्रदालु जल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय इस कलेवर कुण्ड के जल को समुद्र में मिलाकर समुद्र मंथन किया गया था। मंदिर के आस पास के गाँव देवग्राम, उर्गम में स्थानीय लोगों ने घाटी में बढ़ते पर्यटक की सुविधाओं के लिए होम स्टे बनाये गए है। धार्मिक पर्यटन के साथ ही इस घाटी में प्रकृति पर्यटन, बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग , कैम्पिग और शोधार्थियों के लिए बहुत अवसर है।
पंचबद्री, पंचकेदार सहित यहाँ के अनगिनित प्रकृति पर्यटन के स्थान, धार्मिक पर्यटन एवं सुदूरवर्ती हिमालयी रोमांचकारी यात्राओं के विवरण के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति, और सभ्यता का परिचय।
कल्पेश्वर महादेव उर्गम घाटी
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