कल्पेश्वर महादेव उर्गम घाटी



यू तो सम्पूर्ण उत्तराखंड ही देवी -देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। हर स्थान की अपनी कोई एक धार्मिक मान्यता और विशेषता है। इसी तरह जोशीमठ क्षेत्र की उर्गम घाटी भी अपने प्राकृतिक सौन्दर्य, धार्मिक पर्यटन और जैविक खेती के लिए अपनी एक विशेष पहचान रखती है  इस घाटी में पहुुँचनेे के लिये राजमार्ग हरिद्वार -बद्रीनाथ के हैैलंग  से 12 किमी0 की दूरी तय करके पहुँचा जा सकता है । हेलंग से देखने से लगता है कि आगे पूरी तरह पर्वतमालाएं होंगी, परन्तु हेलंग में उर्गम घाटी को जोड़ने वाले अलकनन्दा पर बने पुल को पार करते ही आगे बढ़ने पर उर्गम घाटी V के आकार में फैली हुई नजर आती है। चारों और से हरे भरे जंगलों के बीच बसे यहाँ के गाँव, जिसमें अभी भी कुछ पुराने परम्परागत तरीके के बनाये हुए घर , प्राकृतिक सौन्दर्य, झरने हर किसी को आकर्षित करते है। उर्गम घाटी में प्रकृति पर्यटन के साथ - साथ धार्मिक पर्यटन का भी अनूठा संगम है। पंचबद्री में ध्यान बद्री जी का मंदिर जहाँ पूर्व समय में बद्रीनाथ मंदिर के रावल जी बद्रीनाथ जी के कपाट खुलने व बन्द करने के समय पूजा करने आते थे, वर्तमान में इस मंदिर के पुजारी उर्गम घाटी के डिमरी जाति के लोग है। 
वही पंच केदार के पांचवें केदार श्री कल्पेश्वर महादेव का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है। कल्पेश्वर महादेव चट्टान के ऊपर गुफा में पांडवों द्वारा निर्मित मंदिर बताया जाता है। माना जाता है कि जब कुरुक्षेत्र में पांडवों के द्वारा अपने सगे संबंधियों को मारने के पश्चात अपने गौत्र हत्या को मिटाने हेतु  व्यास जी की सलाहनुसार भगवान शिव को मनाने लिए केदार क्षेत्र आये तो शिव पांडवों को देखते ही  रूप बदलकर अन्तर्ध्यान हो जाते थे, आगे -आगे शिव और पीछे-पीछे पांडव, कल्पेश्वर में इस जगह पर पांडवों ने शिव जी की जटा को छू लिया था, तो शिव जी ने अपने जटा को यही पर छोड़कर अन्तर्ध्यान हो गए। तब से पाँचवे केदार के रूप में भगवान शिव की इस स्थान पर पूजा होती है। मंदिर के पिछले भाग में कलेवर कुंड है जहाँ से श्रदालु जल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय इस कलेवर कुण्ड के जल को समुद्र में मिलाकर समुद्र मंथन किया गया था। मंदिर के आस पास के गाँव देवग्राम, उर्गम में स्थानीय लोगों ने घाटी में बढ़ते पर्यटक की सुविधाओं के लिए होम स्टे बनाये गए है। धार्मिक पर्यटन के साथ ही इस घाटी में प्रकृति पर्यटन, बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग , कैम्पिग और शोधार्थियों के लिए बहुत अवसर है।




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