गढ़वाली व्यंजन (Gadhwali vaynjan))

उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता दुनिया से छिपी नहीं है। उसी तरह पहाड़ी व्यंजनों का अपना अलग ही महत्व है। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन विलुप्ति होने के कगार पर है। 

Man and women shoes

मंडवे की रोटी: 
मंडवे की रोटी गढ़वाल में सबसे अधिक खायी जाने वाली रोटी है। उत्तराखंड के लोग अक्सर जाडों के मौसम में चूल्हे में मंडवे की मोटी-मोटी रोटी बनाते है और तिल या भांग की चटनी के साथ या घी के साथ खाते है। मंडवे में पोष्टिकता की मात्रा होती है।

Womem and man clothes अरसा: अक्सर शादी ब्याह के मौकों पर घरों में अरसे बनाये जाते है। इसके लिए पहले चावलों को भिगोकर ओखली में आटे की तरह बारीक कूटा जाता है। फिर हल्के गुनगुने पानी में गुड के साथ चावल का ये पिसा आटा मिलाया जाता है, उसके बिस्कुट के आकार में बाद उबलते हुए तेल में पकाया जाता है। 

झंगोरे की खीर: झंगोरे की खीर भी चावल के खीर की तरह बनायी जाती है। अपने बारीक दानों, पोष्टिक तत्वों और लाजवाब स्वाद की वजह से झंगोरे की खीर की सराहना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स व उनकी पत्नी कैमिला पारकर तथा पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी कर चुके हैं। 

कंडाली का साग: पहाड़ों में आसानी से उपलब्ध होनी वाली कंडाली एक तरह से हरी पत्तीदार सब्जी की तरह है। कंडाली के पत्तो को तोड़कर इसे अच्छी तरह धोकर, पानी में उबालकर पकाया जाता है। फिर इसके सुई जैसे काँटों को छिलकर लोहे की कढ़ाई में फ्राई करके साग तैयार किया जाता है। अधिकांशतया इसे जाड़ों के मौसम में बनाया जाता है। 

चैसा: इसमें भट्ट और उड़द दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें टमाटर, प्याज, अदरक का पेस्ट बनाकर पकाया जाता है। चैसा अधिकतर दिन में चावल के साथ खूब पसन्द किया जाता है। 

भाँगजीरे की चटनी: आप अगर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हैं। भांगजीरे की चटनी आपके खाने को स्वादिष्ट बनाती है। इसमें शुद्ध पहाड़ी मसाले , खट्टा-नमकीन-तीखा फ्लेवर सभी तरह के परांठे और मंडवे की रोटी के साथ - साथ किसी तरह के खाने में जबरदस्त स्वाद ओर जायका देता है। 

चौलाई की सब्जी: पहाड़ी क्षत्रों में घूम रहे हो तो आप चौलाई की सब्जी का स्वाद ले सकते हैं। चौलाई की सब्जी जितनी स्वादिस्ट होती है इसके फायदे भी कई है विटामिन A जिससे आँखों की रोशनी बढ़ती है,कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। ये सब्जी पहाड़ों में जून -जुलाई के मौसम में आसानी से उपलब्ध होती है। 

चौलाई की रोटी : चौलाई का आटा तैयार कर पहाड़ों में अक्सर जाडों के मौसम में चूल्हे में चौलाई की रोटी बनाते हैं।  चौलाई में पोष्टिकता की मात्रा होती है। 

1 comment:

  1. Muh mein paani aa gaya aur gaon ki yaad bhi. Nice post sir

    Thanks,
    Yash Rawat

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